इस राज्य में कृषि वैज्ञानिकों ने परवल की 3 बेहतरीन किस्में विकसित की हैं

झारखंड राज्य के रांची में मौजूद भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र पूर्वी प्रक्षेत्र पलांडू के वैज्ञानिकों द्वारा परवल की 3 नई प्रजातियों को विकसित किया है। वैज्ञानिकों ने इन प्रजातियों का नाम स्वर्ण रेखा, स्वर्ण अलौकिक और स्वर्ण सुरुचि रखा है। बतादें, कि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई परवल की इन तीन किस्मों से झारखंड के अंदर सब्जी का उत्पादन करने वाले किसानों के लिए एक खुशखबरी है। वैज्ञानिकों द्वारा परवल की ऐसी प्रजाति को विकसित किया गया है, जिसके उपरांत अब पहाड़ों पर भी इसकी खेती करना संभव हो गया है। विशेष बात यह है, कि परवल की यह प्रजाति कम वक्त में ही तैयार हो जाएगी और उत्पादन भी बेहतरीन मिलेगा। साथ ही, राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत वर्तमान में राज्य के बहुत से जनपदों में परवल की खेती भी चालू की जाएगी। इसके लिए किसान भाइयों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। किसान तक के अनुसार, रांची में मौजूद भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र पूर्वी प्रक्षेत्र पलांडू के वैज्ञानिकों द्वारा परवल की 3 नई प्रजातियों को विकसित किया गया है। वैज्ञानिकों ने इन प्रजातियों का नाम स्वर्ण रेखा, स्वर्ण अलौकिक एवं स्वर्ण सुरुचि रखा है। इसके अतिरिक्त वैज्ञानिकों ने परवल की एक और प्रजाति को विकसित किया है, जिसकी खेती भारत के अन्य दूसरे राज्यों में भी की जा सकती है।

राज्य के 11 जनपदों में पायलट प्रोजेक्ट के अनुरूप परवल की खेती का शुभारंभ किया जाएगा

परवल की नवीन प्रजातियों के विकसित होने के उपरांत झारखंड के कृषकों ने वैज्ञानिकों की सराहना और धन्यवाद किया है। किसानों का यह कहना है, कि वर्तमान में हमारे द्वारा उगाए गए परवल का स्वाद अन्य राज्य के लोग भी ले सकेंगे। इससे बिहार राज्य का नाम रौशन होगा और साथ में किसानों की आय में भी बढ़ोत्तरी होगी। ऐसा कहा जा रहा है, कि राज्य के 11 जनपदों में पायलट प्रोजेक्ट के अनुरूप परवल की खेती का शुभारंभ किया जाएगा। राष्ट्रीय बागवानी मिशन इसकी देखरेख करेगा। विशेष बात यह है, कि परवल की इन प्रजातियों की खेती ओडिशा और छत्तीसगढ़ में भी की जा सकती है।

परवल की एक एकड़ में खेती करने पर कितना खर्चा आता है

इसी कड़ी में कृषि वैज्ञानिकों का कहना है, कि परवल की खेती से झारखंड के किसानों की आमदनी में काफी इजाफा होगा। क्योंकि, परवल एक ऐसी फसल है, जिसकी खेती चालू करने के उपरांत आप पांच वर्ष तक सब्जी तोड़कर प्राप्त सकते हैं। यदि किसान भाई एक एकड़ जमीन पर परवल का उत्पादन करते हैं, तो उनको लगभग 50 हजार रुपये तक का खर्चा करना पड़ेगा। लेकिन, इससे किसान अच्छा-खासा फायदा भी अर्जित कर पाऐंगे।

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परवल में विटामिन-ए, विटामिन बी और विटामिन-बी1 पाए जाते हैं

जानकारी के लिए बतादें, कि गंगा के मैदानी क्षेत्रों में परवल की सर्वाधिक खेती होती है। बिहार एवं उत्तर प्रदेश परवल के मुख्य उत्पादक राज्य है। यहां के परवल की बिक्री संपूर्ण भारत में होती है। परवल में विटामिन-बी1, विटामिन बी2, विटामिन-ए एवं विटामिन-सी और कैल्शियम विघमान होता है। परवल की सब्जी बेहद ज्यादा स्वादिष्ट बनती है। बहुत सारे लोग परवल का अचार बनाकर भी खाते हैं।